गुलशन कुमार मर्डर केस में बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला आ गया है

टी-सीरीज़ के मालिक गुलशन कुमार हत्याकांड में बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुना दिया। गुलशन कुमार मर्डर केस में बॉम्बे हाई कोर्ट ने राउफ मर्चेंट को दोषी ठहराए जाने का फैसला बरकरार रखा। इसके अलावा हाई कोर्ट ने दूसरे आरोपी अब्दुल राशिद को दोषी ठहराया है जिसे पहले सेशन कोर्ट ने बरी कर दिया था।
महाराष्ट्र सरकार ने अब्दुल राशिद को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अपील की थी। हत्याकांड पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एस.एस. जाधव और एन. आर. बोरकर की बेंच ने कहा कि:-

‘अब्दुल रउफ का आपराधिक इतिहास रहा है। जब 2009 में उसे परोल पर छोड़ा गया, तो वो वापस आने की बजाय फरार हो गया। इसलिए वो किसी तरह की सज़ा माफी का हक़दार नहीं माना जाएगा। मगर न्याय के हित में यही है कि उसके खिलाफ किसी प्रकार की ढिलाई या उदारता न बरती जाए।’
आपको बता दे, अब्दुल रऊफ को अप्रैल 2002 में उसे उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई, मां की बीमारी की वजह से उसे 2009 परोल पर छोड़ा गया। मगर अब्दुल पुलिस से बचकर बांग्लादेश भाग गया था। वहां बाग्लादेश पुलिस ने उसे फर्जी पासपोर्ट मामले में गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद 2016 में उसे बांग्लादेश से डिपोर्ट कर इंडिया लाया गया।
गुलशन कुमार की हत्या से जुड़ी कुल चार याचिकाएं बॉम्बे हाई कोर्ट में आई थीं। इसमें तीन अपील रऊफ मर्चेंट, राकेश चंचला पिन्नम और राकेश खाओकर को दोषी ठहराए जाने के खिलाफ थीं। मर्चेंट को गुलशन कुमार हत्या के केस में दोषी ठहराया था, अब कोर्ट ने उसकी सजा को बरकरार रखा है।

वहीं अन्य याचिका महाराष्ट्र सरकार ने दायर की थी यह रमेश तौरानी को बरी करने के खिलाफ थी। हालांकि कोर्ट ने तौरानी के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की अपील खारिज कर दिया है। उनपर हत्या के लिए उकसाने का आरोप था। और कोर्ट ने उन्हें इस मामले में बरी कर दिया है।
गुलशन कुमार की हत्या बाला दिन

टी-सीरीज़ के मालिक गुलशन कुमार 12 अगस्त, 1997 को मुंबई के अंधेरी वेस्ट इलाके के जीतेश्वर महादेव मंदिर गए हुए थे। मंदिर के बाहर उनके शरीर को 16 गोलियों से छलनी कर दिया गया। दाऊद इब्राहिम और अबू सलेम ने गुलशन कुमार की हत्या की साजिश रचने का नाम आया था। इस मामले में कुल 19 लोगों को अक्यूज़ किया गया था।
मगर कोर्ट ने रमेश तौरानी समेत 18 लोगों को इस मामले में बरी कर दिया। इस मर्डर का आरोप म्यूज़िक कंपोज़र जोड़ी नदीम-श्रवण वाले नदीम सैफी पर भी था। मगर बाद में लंदन की एक कोर्ट ने उन्हें इस मामले में बरी कर दिया। मगर अब्दुल रऊफ के खिलाफ मिले साक्ष्यों के आधार पर उसे आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई।
गुलशन कुमार की सफलता की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। जिन हालातों में संघर्ष कर गुलशन कुमार ने सफलता की सीढ़ियों को छुआ, वह आज के दौर में किसी और के लिए सोच पाना भी मुश्किल है।

एक समय में सबसे ज्यादा टैक्स देने वाला शख्स बचपन में अपने पिता के साथ जूस की दुकान पर हाथ बंटाता था और यहीं से गुलशन का बिजनेस में इंट्रेस्ट हो गया और इस कमाई से उन्होंने कई अच्छे काम किए। गुलशन कुमार ने अपने धन का एक हिस्सा समाज सेवा के लिए दान करके एक मिसाल कायम की।
गुलशन कुमार के चार बच्चे हैं। बिटिया तुलसी, खुशहाली और बेटे कृष्ण और भूषण। उनकी बनाई टी सीरीज़ अब उनके बेटे भूषण कुमार चलाते हैं। सभी बेटा और बेटी आज देशभर में अपना अपना नाम कमा रहे है।